कोरा कागज
कोरा कागज
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सुख चैन नींद सब तुम ही थे,
सपनों से भरा खजाना था।
वादों की झड़ी लगा तुमनें,
इस दिल को किया निशाना था।
एक फलती फूलती बगिया में,
क्यों तुमनें आग लगाया था।
दिल था कोरा कागज मेरा,
जिसको तुमनें सुलगाया था।
माना थोड़ा अनजाना था,
जो तुझपे हुआ दीवाना था।
तेरे जुल्फों के छांव तले,
दुनियां से रहा बेगाना था।।
ये कैसी टिस दिया तुमने,
ये कैसा नया तराना था।
दिल था कोरा कागज मेरा,
जिसको तुमनें सुलगाया था।
ये लत था या था मजबूरी,
जो मार दिया जज्बातों को।
कमबख्त ये दिल कितना पागल,
जो समझ ना पाया साँसों को।।
क्यों सपना तूने दिखाया था,
जब साथ ही नहीं निभाना था।
दिल था कोरा कागज मेरा,
जिसको तुमनें सुलगाया था।।
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स्वरचित मौलिक, सर्वाधिकार सुरक्षित..
✍️चंद्रगुप्त नाथ तिवारी
सुंदरपुर बरजा आरा (भोजपुर) बिहार
Swati chourasia
23-Sep-2021 09:20 PM
Very beautiful 👌👌
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चंद्रगुप्त नाथ तिवारी
19-Oct-2021 08:36 PM
जी सादर आभार
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चंद्रगुप्त नाथ तिवारी
23-Sep-2021 08:22 PM
धन्यवाद आदरणीय
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Zakirhusain Abbas Chougule
23-Sep-2021 07:54 PM
Nice
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